भारत – भौगोलिक स्थिति और विस्तार

भारत का भूगोल

भौगोलिक दृष्टि से भारत का मुख्य भूभाग 8°4′ से लेकर 37°6′ उत्तर अक्षांश के बीच है और 68°7′ पूर्व देशांतर से 97°25′ पूर्व देशांतर के मध्य फैला है. भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किमी. है. कर्करेखा इस देश को दो सामान भागों में बाँट देती है. 2004 के पूर्व इसका सबसे दक्षिणी छोर इंदिरा पॉइंट के नाम से जाना जाता था. यह 2004 की सुनामी लहरों में जलमग्न हो गया. देश का अक्षांशीय और देशान्तारीय विस्तार लगभग 30° है.
देशंतारीय विस्तार का प्रभाव भी भारत के समय पर पड़ता है. समय की दृष्टि से 1° की दूरी पर 4 मिनट का अंतर आता है और 15° की दूरी पर 60 मिनट यानी एक घंटे का अंतर आता है. इसे और भी सही ढंग से समझना है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ने के बाद क्लिक करें 

भौगोलिक स्थिति और विस्तार

  1. भारत की मुख्य भूमि 8°4′ से लेकर 37°6′ उत्तर अक्षांश के बीच है.
  2. भारत का देशांतरीय विस्तार 68°7′ पूर्व देशांतर से 97°25′ पूर्व देशांतर के मध्य है.
  3. कर्करेखा (23°30′ उत्तरी अक्षांश) भारत को उत्तर-दक्षिण दो भागों में बांटती है.
  4. भारत के अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार का अंतर लगभग 30° है.
  5. भारत का पूर्व-पश्चिम विस्तार 2,933 किलोमीटर तथा उत्तर-दक्षिण विस्तार 3,214 किलोमीटर है.
  6. 22° उत्तर अक्षांश के दक्षिण भारत का पूर्व-पश्चिम विस्तार घटता गया है.
  7. भारत के दक्षिणतम बिंदु कन्याकुमारी के निकट बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिन्द महासागर का संगम है.
  8. मुख्य भूमि की तटीय लम्बाई 6,100 किलोमीटर तथा द्वीपों को मिलाकर तट की कुल लम्बाई 7,516.6 किलोमीटर है.
  9. भारत की स्थल सीमा की कुल लम्बाई 15,200 किलोमीटर है.
  10. भारत का कुल क्षेत्रफल 32.8 लाख वर्ग किलोमीटर है.
  11. क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का विश्व में साँतवा स्थान है.
  12. भारत के पास विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2.4% भाग है.
  13. पठारी प्रदेश प्रायद्वीपीय भारत कहलाता है.
  14. अरुणाचल प्रदेश तथा गुजरात के बीच सूर्योदय में 2 घंटे का अंतर होता है.
  15. स्वेज नहर के बनने के बाद भारत और यूरोप के बीच लगभग 7,000 किमी. दूरी कम हो गई.
  16. भारत की सीमा 7 पड़ोसी देशों पकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, चीन, भूटान, मयन्मार और बांग्लादेश को छूती है.
  17. लक्षद्वीप अरब सागर में तथा अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह बंगाल की खाड़ी में स्थित है.
  18. श्रीलंका मन्नार की खाड़ी और पाक जलसन्धि से भारत से अलग होता है.
  19. भारत और पाकिस्तान के बीच रेडक्लिफ और भारत और चीन के बीच मैकमोहन रेखा स्थित हैं.
  20. भारत का पूर्व-पश्चिम सर्वाधिक विस्तार 22° उत्तरी अक्षांश पर मिलता है.
  21. देश के दक्षिणी भाग की आकृति लगभग त्रिभुजाकार है.
  22. भारत के अक्षांशीय और देशान्तरीय विस्तार का प्रभाव समय, तापमान, मौसम आदि पर पड़ता है.
  23. केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों में विषुवतरेखा के निकट होने के चलते हमेशा तापमान अधिक रहता है.
  24. विषुवतीय रेखा से दूर और अधिक ऊँचाई पर स्थिति होने के कारण जम्मू-कश्मीर का तामपाम बहुत कम होता है.
  25. देश का उत्तरी भाग शीतोष्ण क्षेत्र में पड़ता है.
  26. अक्षांशीय दूरी बढ़ने से दिन-रात की अवधि में अंतर आता है.
  27. केरल और तमिलनाडु में सबसे छोटे और सबसे बड़े दिन में 45 मिनिट का अंतर होता है जबकि लेह में यह 5 घंटे का होता है.
  28. 82°.30′ पूर्व देशांतर रेखा को भारत की मानक यमोत्तर माना जाता है.
  29. भारत तथा अन्य पड़ोसी देशों ने मिलकर 8 दिसम्बर 1985 को दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) का निर्माण किया है.
  30. भारत पूर्ण रूप से विषुवतरेखा से उत्तर में स्थित है.
  31. भारत और श्रीलंका के बीच स्थित द्वीपीय श्रृंखला को एडम ब्रिज कहा जाता है.

भारत में वन के प्रकार




मानसूनी जंगल हिमालय के दक्षिणी ढालों, देश के पश्चिमी भागों और दक्षिण पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में पाए जाते हैं. जहाँ 1,000 मिलीमीटर से भी कम वर्षा होती है वहाँ काँटेदार लम्बी जड़ वाले वृक्ष और झाड़ियाँ पाई जाती हैं जो अपनी नमी सुरक्षित रख सके. ये शुष्क जंगल दक्षिणी पंजाब, राजस्थान के अधिकतर भाग और गुजरात में पाए जाते हैं. नदियों के डेल्टा प्रदेशों और समुद्र तटों पर विभिन्न प्रकार की वनस्पति पाई जाती है. गंगा और ब्रह्मपुत्र डेल्टा पर सुन्दर वन प्रसिद्ध है. पहाड़ों पर ऊँचाई और उसके अनुसार जलवायु की बदलती हुई दशाओं के कारण वनस्पति भी विभिन्न प्रकार की पाई जाती है. हिमालय के निम्न पश्चिम भाग में मानसूनी जंगल और अधिक वर्षा वाले पूर्वी भाग में सदाबहार जंगल पाए जाते हैं.  दक्षिण में नीलगिरी और कार्डमम (cardamom) की पहाड़ियों पर 1,500 मीटर की ऊँचाई तक लगभग इसी प्रकार की वनस्पति पाई जाती है. हिमालत पर 100 से 1,500 मीटर ऊँचाई तक शीतोष्ण कटिबंध पर्वतीय जंगल पाए जाते हैं जिनमें देवदार और बलूत के वृक्ष मुख्य हैं. 1,500 से 2,100 मीटर ऊँचाई तक नोकदार पट्टी के जंगल (Coniferous forests) पाए जाते हैं जिनमें चीड़, सनोवर इत्यादि के वृक्ष मुख्य हैं. पर्वतों की अधिक ऊँचाइयों पर अधिक ठंडा और शुष्क होने के कारण केवल शुष्क वनस्पति – झाड़ी इत्यादि ही उग सकती है. भारतवर्ष में बाँस के जंगल भी मुख्य हैं.

सरकारी आँकड़े (Govt. Data)

सरकारी तौर पर नियंत्रण की दृष्टि से भारतीय वनों को तीन भागों में बाँटा गया है (July, 2017 के आँकड़े के अनुसार) –
  1. सुरक्षित वन (Reserved forests) – 24.16% of Geographical Area of India
  2. रक्षित वन (Protected forests) – 21.34 % of Geographical Area of India
  3. अन्य वन (Other forests)
reserved_indianforest
भारत में प्राकृतिक वनस्पति को निम्न भागों में बाँटा जा सकता है –

वनस्पति/वन के प्रकार

  1. ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार
  2. ऊष्ण कटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन
  3. ऊष्ण कटिबंधीय कटीले वन
  4. उपोष्ण पर्वतीय वन
  5. शुष्क पर्णपाती वन
  6. हिमालय के आद्र वन
  7. हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन
  8. पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन
  9. अल्पाइन एवं अर्ध अल्पाइन वन
  10. मरुस्थल वनस्पति
  11. डेल्टाई वन

उष्ण कटिबंधीय सदाबहार (Tropical Evergreen Forest)

ये forest अक्सर उन्हीं क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ 150 cm. से ज्यादा वर्षा होती है. तापमान का भी 15-30° Celsius तक होना अनिवार्य है. ये वन उत्तर-पूर्वी भारत, पश्चिमी घाट के कुछ भागों, हिमालय के निम्नश्रेणी जैसे भाबर (foothills), अंडमान-निकोबार द्वीप समूह आदि में पाए जाते हैं. ऐसा देखा गया है कि जिन प्रदेशों में औसत वार्षिक 250 cm. से अधिक वर्षा होती है, उन क्षेत्रों के जंगल सघन होते हैं. इन क्षेत्रों में जो वरिश पाए जाते हैं, उनके पत्ते प्रतिवर्ष नियमित रूप से नहीं झड़ते और इसी के कारण ये सदाबहार वन कहलाते हैं. इन forests में पाई जाने वाली कुछ प्रमुख प्रजातियाँ हैं – सफ़ेद देवदार, बेंत. मुली, बाँस, चपलास (chaplas), गर्जन (gurjan) आदि. बीहड़ स्थानों में (दुर्गम) होने के कारण इन वनों का पूरी तरह से प्रयोग नहीं हो पाता है. वे प्रदेश जहाँ वर्षा 200-250 cm के बीच पाई जाती है, वहाँ के forest अर्ध सदाबहार वन कहलाते हैं. ये पश्चिम घाट, असम के ऊपरी इलाकों या हिमालय के ढालों और उड़ीसा में पाए जाते हैं.

उष्ण कटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन (Tropical Wet Deciduous Forest)

ये मानसूनी वन हैं. ये वन भारत के उन भागों में पाई जाती हैं जहाँ औसत वर्षा 100-200 cm. के बीच होती है. ये forest सह्याद्रि, प्रायद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग और हिमालय के foothills में पाए जाते हैं. इन वनों में सागवान, साल, सखुआ, खैर आदि पेड़ पाए जाते हैं जो आर्थिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण हैं.

उष्ण कटिबंधीय कटीले वन (Tropical Thorn Forest)

ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 75-100 cm. के बीच होती है और औसत तापमान 16-22° Celsius होता है. ये वन मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कच्छ आदि स्थानों में पाए जाते हैं. बबूल, पलास, काजू, खैर, जंगली ताड़ आदि इस forest में पाए जाते हैं.

उपोष्ण पर्वतीय वन (Himalayan Subtropical Pine Forests)

ये वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ 100-200 cm. के बीच वर्षा होती है और तापमान 15-22° Celsius के बीच होता है. ये वन उत्तर-पश्चिम हिमालय, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी पर्वतीय राज्यों के ढालों पर पाए जाते हैं. चीड़ (Pine) इस वन की प्रमुख वनस्पति है.

शुष्क पर्णपाती वन (Dry Deciduous Forest)

शुष्क पर्णपाती वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं जहाँ औसत वार्षिक वर्षा 100-150 cm. और तापमान 10-12° Celsius के बीच होता है. बबूल, जामुन, मोदेस्ता (modesta tree), Pistache tree आदि यहाँ के प्रमुख वृक्ष हैं.

हिमालय के आद्र वन (Himalayan Wet Forest)

आद्र शीतोष्ण वन उन प्रदेशों में पाए जाते हैं, जहाँ औसत ऊँचाई 1000-2000 meter के बीच होती है. ये forest जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरी पर्वतीय भाग, उत्तरी बंगाल में पाए जाते हैं. यहाँ की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं – साल, पाइन, ओक (oak), चेस्टनट आदि.

हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन (Himalayan Dry Temperate Forest)

हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन जम्मू-कश्मीर, लाहौल-स्पीति (Lahaul & Spiti) , चंबा, किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) और सिक्किम में पाए जाते हैं. दरअसल, ये वन शंकुधारी वन हैं. इस वन की प्रमुख किस्मों की बात करें तो देवदार, ओक, विलो, मलबरी, ओलिव आदि वनस्पतियाँ हैं.

पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन (Montane Wet Temperate Forests)

जिन क्षेत्रों में पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन पाए जाते हैं वहाँ का तापमान 12-15 के बीच होता है. ये forest पूरे हिमालय प्रदेश में जम्मू और कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 1500 मीटर से 3000 मीटर की ऊँचाई के बीच पाए जाते हैं. ज्यादातर इन वनों में झाड़ियाँ, लताएँ और फर्न पाए जाते हैं. देवदार, ओक, मैग्नोलिया (magnolia), चेस्टनट (chestnut), स्प्रूस (spruce tree), सिल्वर फर इसकी प्रमुख प्रजातियाँ हैं.

अल्पाइन और अर्द्ध अल्पाइन वन (Alpine and Semi-Alpine Forest)

अल्पाइन और अर्द्ध अल्पाइन वन हिमालय के उन प्रदेशों में पाए जाते हैं, जिसकी ऊँचाई 2500-3500 मीटर के बीच होती है. इस प्रदेश की विशेषता है – छोटे और कम ऊँचे शंकुवृक्ष. कैल, स्प्रूस, देवदारु आदि इस forest के प्रमुख वृक्ष हैं.

मरुस्थल वनस्पति (Desert Vegetation)

इस प्रदेश में औसत वार्षिक वर्षा 50 cm. से कम होती है. मरुस्थल वनस्पति अरावली के पश्चिम में राजस्थान और उत्तरी गुजरात तक फैली है. इन प्रदेश में दैनिक और वार्षिक ताप का अंतर बहुत अधिक होता है. कैक्टस, काजू, खजूर, अकेशिया (acacia tree) इस प्रदेश की प्रमुख वनस्पतियाँ हैं.

डेल्टाई वन (Delta Forest)

डेल्टाई वन नदियों के डेल्टा पर समुद्र-तट पर पाए जाते हैं, जहाँ ज्वारों के द्वारा नमी मिलती रहती है. इसलिए इन्हें Tidal forests भी कहते हैं.  ये forest बंगाल की खाड़ी के तटीय प्रदेशों में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु और कच्छ , काठियावाड़ (गुजरात), खम्भात की खाड़ी के तटीय प्रदेशों में पाए जाते हैं. मैन्ग्रोव (mangrove) इस प्रदेश की सबसे प्रमुख वृक्ष हैं, जिसका उपयोग ईंधन के रूप में होता है. सुंदरवन के डेल्टा प्रदेश में सुंदरी वृक्ष पाए जाते हैं.

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